SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वतीस निततरातरेस ठिउधै तिरेस ठिविचमें विभाग चैास ठिवताइये। भागपाच छवीस कला छह मोचन उनीस की पढत्तरि चैत्यालेसदांमीस नाईये ॥ ७२॥ अधोलोकश्रेणीवध विलेसे ख्या सबैपा ३१|| सातनरकभूमिउनंचास पाथरे निवास इंद्रक भीउनंचास विचमां ही विलैहै। पहला सीमंतचारि दिससैन उनंचास चारि विदिसामै पढतालीस विलैहै। पा दिसाश्रेणीबद्ध तीनसेनासीभये प्रागै पाठ आठ घंटे अंत चा रि मिले है। सवसान विसैचारियोजन असंषधार दद्याधरधरम करे तिनो दुष गिले है । ७३ | प्रथउर्धलोक गोवध विमाण संख्या। सवै ||३१||अरधत्रेसठियटलक हे आगम में चेस ठिही इंद्रक वि मानविचजानिये। पहले जुगलता के पहले कैरिजुना मजा की चारि दिसा में गी वासठि प्रमाणी या चारो दिसाड तालीस - प्रागे घटे चार चार अंतर चारिउंचचा रिठी कठानिये। श्रश्रेणीवप तरसे मोल योजना सोख्य सिद्धवारे योजन में ध्यान मां हिमानिये ॥७४॥ पयलवनोदधि के मांहि २००८ विलसेय था। सवैया ३१२) लवनोदद्धिचारिदिसामाहिचारक प क है हैमगंग जम तिनको प्रमान है। चारि विदिशामें चारिपेट पर उंचेदस हजार एके नीचे और मुखकै।
SR No.010419
Book TitleMahavira Vardhaman
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1115
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size56 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy