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________________ ट. क. खासि तजलो चिन हेमभंगे डोराचयं ददत्तिजन्मजराय हा नितीर्थ कराय जिनविंशतिवि द्यमानं संचर्चयामिसदपंकजशांति हेत लोकास्मीरचंदन विलेपनपादयुग्मं संसारताय हरदूर करो नि नित्यं तीर्थ करानाश चंद ॥ भो जचंपक सुगंधसुपुष्प जात्तैः कामं विध्वंससक रोतिममंजिनाय तीर्घ ॥ ३ ॥प्पुटं ॥ मखंडप्र सत सुगंध करो मिर्युजं प्रक्षय्य पदस्य सुखसंप तिप्राप्तिहेतोः तीर्थ ॥॥॥॥ प्रक्षतं ॥ नैवेद्य कै खु चितरैर्घतपरक्क खंडैः। सुधादि रोसह रितविना शनाई। तीर्घ शानवेधं दीपप्रदीपिजगत्रय रश्मि ने जै । दूरी करो तितिमिर मोहविनाशनाय नी ये ॥ दी । कर्पूर कहना गुरुवंदनाद्ये वैधस गंधरुतसारमनोहरा तीर्थेना दाडिममनोहर श्री कलाद्यैः । फलं प्रभी सुखसँ पतिप्राप्ति मेवानीर्यणाच॥ फले । जलैश्वगंधा सतपुय्य चरुभिः दीपः सुप फलमिश्रित है मपात्रैः अर्ध करोमि जिन पूजन शां तिहेतोः सं सारण कुरुसेवकानाती श्री बी सजिने सुरविरहमानं पणिधिविपंचसय धनुहपरमाशां जोभवकमक परिबोहयंता विह 1*
SR No.010419
Book TitleMahavira Vardhaman
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1115
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size56 MB
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