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________________ ५५ सोलह दिनां रो तप-१ अष्टम भक्त तप~१२ षष्ट भक्त तप-२२६ (३० दिनां रो एक तप) (२ दिनां रो एक तप) इगर अलावा महावीर दसम भक्त (चार दिन रो उपवास) आदि घणी तपस्यावां कीवी । वां री तपस्या निरजळ (बिगर जळ री) हुवती, अर ध्यान साधना री उणमें खासियत रेवती। मूल्यांकन : भगवान महावीर रै साधना रोप्रो लम्बो समय वां री अग्नि परीक्षा रो कठोर समय हो । साढ़ा बारा वरसां में वांकी सहनशक्ति, समता, अहिंसा, करुणा अर ध्यानलीनता री अंडी कठोर परीक्षावां हुई के वां री कल्पना सू इज मन थर-थर कांपवा लाग जावे। साधक जीवन में महावीर नै जे उपसर्ग मिलिया वी एक तरफो हा । महावीर उणां रो कोई प्रतिकार नी कियो । यू तो किगेध सूकिरोध री अर अहङ्कार सूअहवार से टक्कर हुवे, पण श्रमण महावीर तो सब विकारां सूअळगा हा, मुक्त हा । वां किरोध नै क्षमा सूमर अहङ्कार नै समभाव सूजीतियो।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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