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________________ ४. अभिनन्दन : चौथा तीर्थंकर श्री अभिनन्दन हुया । इणां रो जनम अयोध्या नगरी में हुयो । आपरै पिता रो नाम महाराजा संवर पर मातारो महाराणी सिद्धार्था हो । इरणांरो लांछण वानर है। मुनि धरम अंगीकार कर पाप कठोर तपस्या करीअर सम्मेदसिखर पर निर्वाण प्राप्त करियो। ५. सुमतिनाथ : पांचवा तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ हुया । आपरो जनम अयोध्या में हुयो । आपरो लाँछण कोंच है । आपरै पिता रो नाम महाराज मेघ पर माता रो राणी मगळावती हो । आप कठोर तपस्या कर'र केवळज्ञानी बण्या पर सम्मेदसिखर सू मुगति प्राप्त करी। ६. पदमप्रभुः छट्ठा श्री पदमप्रभु रो जनम कोसाम्वी नगरी में हुयो। इणांरै पिता रो नाम महाराजा घर पर माता रो सुसीमा हो । आपरो लांछरण कमळ है। आप दीक्षा ल य नै कठोर तप करियो अर केवळज्ञान प्राप्त कर संसारी प्राणियां नै घरम रो उपदेस दियो। सम्मेदसिख र सूआप निर्वाण प्राप्त करियो। ७. सुपार्श्वनाथ सातवां तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ रो लांछण स्वस्तिक है। आपरो जनम वाराणसी में हुयो। आपरै पिता रो नाम महाराज प्रतिष्ठसेन अर माता रो राणी पृथ्वी हो । आप घोर तपस्या कर'र सम्मेदसिखर सूनिर्वाण प्राप्त करियो।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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