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________________ लिन्छ Ma(उत्तर) जो शास्त्रोंको जानकर खोटे आचरण खोटा अभिमान थोडासा भी नहीं करना IMS और दूसरी भी पापको करनेवाली क्रियायें नहीं करना-यही पंडिताई है। (प्रश्न) मूर्खता किसे कहते हैं । ( उत्तर ) जो ज्ञानसे हितका कारण निर्दोष तप धर्म क्रियाको जानकर I आचरण नहीं करना । ( प्रश्न ) बड़े भारी चोर कोंन हैं । ( उत्तर ) जो मनुष्योंके धर्म | रत्नको चुरानेवाले पापके कर्ता और अनर्थोके करनेवाले ऐसे पांच इंद्रिय रूप चोर हैं। (प्रश्न ) इस संसारमें शूरवीर कोंन हैं ( उत्तर ) जो धैर्यरूपी तलवारसे परीपशहरूपी महायोषाओंको, कषायरूपी वैरिओंको तथा काम मोह वगैरह शत्रुओंको जीतनेवाले हो । (प्रश्न ) देव कोंन है ( उत्तर ) जो सबका जाननेवाला, क्षुधादि अठारह दोषोंसे । शारहित, अनंतगुणोंका समुद्र और धर्मका प्रवर्तानेवाला हो ऐसा अहंत प्रभु ही देव है। ( प्रश्न ) महान् गुरु कोन है ( उत्तर ) जो इस संसारमें बाह्य अभ्यंतर दोनों तरहके 5 परिग्रहोंसे रहित हो, जगतके भव्यजीवोंके हित करनेमें उद्योगी हो और आप भी मोक्षका चाहनेवाला हो वही महान् गुरु है । दूसरा मिथ्यामती धर्मगुरु नहीं हो सकता। । इस प्रकार उन देवियोंकर किये गये शुभके करनेवाले प्रश्नोंका उत्तर वह जिन-11 Molमाता गर्भके प्रभावसे सबकी जानकार होकर साफ देती हुई। एक तो उस महारानीकी बुद्धि स्वभावसे ही निर्मल थी फिर अपने उदरमें तीन ज्ञानके धारी प्रकाशमान तीर्थ QCECODEO ومفخخ
SR No.010415
Book TitleMahavira Purana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddharak Karyalaya
Publication Year1917
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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