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________________ MAMADAI शन | अपशकुन सूर्यनारायन दीक्षित । चन्द्रहास का उपाख्यान लाग ये लोग मधमंगल मिश्र एकहीं शरीर मे अनेक आत्माएँ। स्त्री कुमारिका चित्र 'जागृत है चित्र विद्यमान है प्रमथनाथ मट्टावाय | राजपूतनी पाणयारी प्रियतमा बैंकटेश नारायण तिवारी एक अशरफीकी प्रात्मकहानी घटी बहुत प्यारी मालूम हुई घटी बहुत पमद अाई मत्यदेव श्राश्चयजनक घटी घटी को याग देग्वा है घटी पहले कभी देखी है। कात्पिति कार्य प्रवृति रामचन्द्र शुक्ल कविता क्या है चजला को गज पार चम- बिजली की गज और पूर्णसिद्ध चमक है कुटील कुटिलतापूर्ण स्यहरात खडहग विवाह वाली प्राय कन्या पतिवरा मनृप्यातोत परिश्रम मनुष्यातिगपरिश्रम बदरीनाथ भट्ट महाकवि मिल्टन विचारों में लिप्त बैठा था । विचारों में मग्न सत्यदेव अमेरिका भ्रमण ।४। कन्यादान maam a nammaNayaNETamrpa AADHunuwar-OPER ARRIA
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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