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________________ पड़ा १६०६ - ywwwvar war or यह दून्ट निराश हो त्यागना | निगश हाकर यह निदि काशीप्रसाद फस sm छोड़ना पड़ा अपने मान कलेक्टर का अपने कलेक्टर साहब का टिममी काय का क्षय करने कृपिका क्षय करने वालीटिडी मूर्यनारायण दीक्षित (रिड्डी दल वाली | उसकी शामा और मां बड चन्द्रहाम का उपाख्यान उमकी और भी शोमा बदगई | गई जीवन का बिना अन्त किये | जीवन का अन्त किए बिना पर लकड़ी का टुकड़ा लकबी का एक टुकड़ा । शुरुदेव तिवारी गुरुत्वाकर्षण शक्ति उतनी ही आकर्षण शक्ति मा अाकर्षण शक्ति में ना , न्यूनसा हो जाती है । न्यूनता हो जाती है भारतका प्राचीन विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के विश्वविद्यालय कटेश नारायण तिवारी प्राचीन भारतके विश्वविद्यालय मूल या सिन्हात था मूल सिद्धांत यह था बिम्पसार मगध नरेश मगध-नरेश बिम्बसार सस्कान रुपया कम्पनी को तत्काल कम्पनी को मपया मिश्रबन्ध जीवन बीमा श्रदा करना पड़े अदा करना पड़े शर र शान यथार्थ यथार्थ शरीर ज्ञान लक्ष्मीधर बाजयो हमारा बंद्यक शास्त्र हमारे मे ही विचार है हमारे विचार वैसे ही है। शास्त्रा की हमारे देश में | शास्त्रों की उन्नति हमारे । में. । २३७ । - १ - Hamw - १६०८ A - १६०८ MAR १६.८ --
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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