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________________ वारक सधि समास उपसर्ग और प्रत्यय श्राकाक्षा योग्यता सन्निधि प्रत्यक्ष परोक्षकथन वाच्य ग रचनादोप- विरामादि चिन्ह श्रवच्छेदन मुहावरे पुनरुक्ति कटुता, जटिलता, शिथिलता पंडिताऊपन भाषासुधार क चार प्रकार से भाषा-सुधार • स्व ग्रन्थी का संशोधन २०८ २०८ २०८ २१२ ( संशोधित भाषा त्रुटियों की एक वर्गीकृत सूची - पृ० २१३ - २४४ स्वर, व्यंजन, मंज्ञा, सर्वनाम, विशेष्यविशेषण, क्रिया, अव्यय, लिंग वचन, कारक, सन्धि, समास, उपसर्गप्रत्यय, आकाक्षा, योग्यता, सन्निधि, वाच्य, प्रत्यक्षपरोक्षकथन, मुहावरों, कठिन संस्कृत शब्दां, अरबी फारसी शब्दों अंग्रेजी शब्दां, और अन्य शब्दों का संशोधन ) ड. पत्रो, भाषण आदि के द्वारा संशोधन २४५ ४ द्विवेदी जी की भाषा की श्रारम्भिक रीति और शैली-अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, अवधी, पंडिताऊपन २४७ ५ उनकी प्रौढ रचनाओं की रीति २५३, ६ युगनिर्माता द्विवेदी की भाषा-शैली २५५ ग आलोचना द्वारा संशोधन + १६६ २०१ २०१ २०१ २०२ २०२ २०३ २०३ २०४ घ 'सरस्वती' की रचनाओं का शोधन २०५ २०६ २०६ २०७ २०७ २०८
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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