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महावीर का जीवन सदेश
है ? भावना का क्षेत्र शिक्षा से नव-पल्लवित होता है, जबकि योजना अन्त मे व्यवस्था का रूप ले लेती है। यहाँ मैंने जिस परिवर्तन की बात कही है, वह किसी सत्ता के बल पर नही हो सकेगा। वह शिक्षा के द्वारा और प्रत्यक्ष उदाहरण द्वारा लोगो का हृदय परिवर्तन कराने से ही हो सकेगा। इसके लिए कोई सार्वजिनक योजना तैयार करने की जरूरत नही है । यदि भावना मूल मे शुद्ध होगी और सुरक्षित तथा जीवत रहेगी तो हमारी आवश्यकता के अनुसार अनेक योजनाये उत्पन्न होगी और वदलती रहेगी।