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________________ ( ७६ } उ. प्र. १४६ खेमिल के कहने पर यात्रियों ने क्या किया ? खेमिल के कहने पर सभी यात्री ध्यानस्थ महावीर के चरणों में सिर झुका रहे थे --- "हे प्रभो ! हे महाश्रमरण हमें इस संकट से बचाइये आप ही हमारे रक्षक हैं ।" प्र. १४७ जलोपसर्ग कैसे शांत हो गया था ? उ. श्रमरण महावीर के दिव्य प्रभाव से धीरे-धीरे तूफान शांत हो गया, लहरों का आलोड़न कम हुआ और नाव अपनी सहजगति पर आ गई | यात्रियों के जी-में-जी आया । वे प्रभु को वंदना करने लगे । नाव किनारे पहुंची और सभी यात्री कुशल क्षेमपूर्वक उतर कर अपने अपने गंतव्य की ओर चल दिये । प्र. २४५ म. स्वामी के जलोपसर्ग के समय पर किसने रक्षा की थी ? उ. कंवल-संबल नामके दो नागकुमार देवों ने । प्र. १४९ म. स्वामी जिस नाव में बैठे थे उसकी रक्षा उ. कंबल - संवल ने कैसे की थी ? कंबल-संवल नामके दो भक्त नागकुमार देवों ने सुदंष्ट्र देव को इस दुष्कर्म के लिए धिक्कार |
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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