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________________ ( ३११ ) को भंग करने के लिए स्वयं इन्द्र स्वर्ग से भव्यः सवारी के साथ महावीर को वंदन करने आया । प्र. ५६८ इंद्र महाराज का गर्व किसने भंग किया था ? उ. दशार्णपुर के महाराजा दशार्णभद्र ने। प्रे ५६९ इंद्र महाराज का गर्व दशार्णभद्र ने कैसे भंग' किया था ? दशार्णभद्र राजा भव्य सवारी के अहं के साथ प्रभुको वंदन करने आया था । उसका अहं भंग करने के लिये इन्द्र स्वयं उससे अधिक ऐश्वर्य.. पूर्ण सवारी में उपस्थित हुआ । प्रभु के उपदेश द्वारा वैराग्य प्राप्त कर व चारित्र ग्रहण कर उसने इन्द्र महाराज का गर्व भंग कर दिया था ।। प्र. ५७० म. स्वामी दशार्णपुर से कहां पधारे थे ? उ. विदेह के वाणिज्यग्राम में । प्र. ५७१ म. स्वामी वाणिज्यग्राम में कहां विराजे थे ? उ. ध तिपलाश चैत्य में। ६. ५७२ म. स्वामी के समीप अपने प्रश्नों का समाधान ..., करने कौन आया था ? सोमिल ब्राह्मण अपने सौ छात्रों के साथ प्रभु . के समीप प्रश्नों का समाधान करने आया था। .:
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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