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________________ (२.८६ ) प्र. ४६० गणधर गौतम भिक्षार्थ गये तो उन्होंने क्या सुना था ? गणधर गौतम ने श्रावस्ती के बाजारों में चर्चा सुनी कि "आजकल श्रावस्ती में दो तीर्थकर. आये हुए हैं। प्र. ४६१ गौतम गणधर ने प्रभु से क्या पूछा था ? उ, गौतम ने प्रभु के निकट पाकर इस मिथ्या जन.. .. प्रवाद पर टिप्पणी करते हुए भगवान से पूछा "भंते ! अाजकल श्रावस्ती में दो तीर्थंकरों के विचरण की चर्चा हो रही है, क्या गौशालक सर्वज्ञ एवं तीर्थकर है ?" प्र. ४६२ म. स्वामी ने इन्द्रभूति से क्या कहा ? गौतम ! गौशालक अप्टांग निमित्त का ज्ञाता होने से कुछ भविष्य कथन कर सकता है । . उसका हृदय राग-हेप, प्रज्ञान और मोह से कलुपित है, फिर वह जिन व तीर्थकर मोरो हो सकता है ? आज से २४ वर्ष पूर्व वह मेरा शिप्य बनकर रहा था। बस, थोड़ी-सी शक्ति और लब्धि पाकर भाज वह अपने मोतीपंकर बताने लग गया है। गोपालपा का कपन
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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