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________________ ( २७८ ) प्र. ४२६ म. स्वामी कृतंगला नगरी में कहाँ विराजे थे ? उ. छत्रपलाश उद्यान में । प्र. ४२७ कृतंगला नगरी के निकट किसका आश्रम था ? गर्दभालि आचार्य का । उ. प्र. ४२८ आश्रम में कौन रहता था ? स्कंदक परिव्राजक उ. प्र. ४२६ स्कंदक परिव्राजक कौन था ? उ. स्कंदक परिव्राजक गर्दभालि आचार्य का प्रमुख शिष्य था । वह वेद-वेदांग, षष्टि तंत्र, दर्शन शास्त्र आदिका प्रकांड विद्वान था । प्र. ४३० स्कंदक परिव्राजक किस गोत्रका था ? उ. कात्यायन गोत्र का । प्र. ४३१ स्कंदक परिव्राजक से किसकी भेंट हुई थी ? उ. पिंगलक निर्ग्रन्थ श्रमण की I प्र. ४३२ स्कंदक से पिंगलक श्रमण की भेंट कहाँ हुई थी ? श्रावस्ती नगर में । प्र. ४३३ स्कंदक और पिंगलक की ज्ञान चर्चा से क्या हुआ था ? दोनों के बीच ज्ञान-चर्चा चली तो पिंगलक उ.
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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