SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २७३ ) "सकडालपुत्र ! तुम किसी देववाणी से प्रेरित. . होकर यहाँ आये हो ?" प्र. ३६८ म. स्वामी से सकडालपुत्र ने क्या विनति. की थी? उ. सकडालपुत्र विनम्रता और श्रद्धा के साथ । बोला-"भगवन् ! हाँ ! ऐसा ही है। मैंनेः आपके दिव्य प्रभाव का साक्षात् अनुभव कियाः . है। आप मेरी भांडशाला में पधारिएं और शैया-आसन आदि स्वीकार कीजिए।" प्र. ३६६ म. स्वामी ने सकडालपुत्र की विनति पर : क्या किया था ? सकडालपुत्र के अति आग्रह पर महावीर. उनकी भांडशाला में पधारे। प्र. ४०० म. स्वामी ने सकडालपुत्र का क्या समाधान : किया था ? उ. नियतिवाद की असारता और पुरुषार्थ की : प्रवलता का। प्र. ४०१ म. स्वामी से अपना समाधान पाकर सकडाल पुत्र ने क्या किया था ? उ. . प्रभु के चरणों में धावकधर्म के व्रतों को. ग्रहरण कर लिया।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy