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________________ # ( ४ ). प्र. १६ म. स्वामी ने तीर्थंकर बनने का पुण्य कर्म किस प्रकार उपाजित किया था ? .. .. उ. . बीस स्थानकादि तप की आराधना द्वारा-1.. प्र. २० म. स्वामी के सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद कितने भव थे? . . .: उ. २६ भव। . . . . . २१ म. स्वामी के जीव ने २७ भवों में देव के कितने भव किये थे ।. : उ. १० भव । । प्र. २२ म. स्वामी के जीव ने २७ भवों में मनुष्य के. . . कितने भव किये थे ? उ. १४ भव । प्र. २३. म. स्वामी के जीव ने २७ भवों में तिर्यंच के कितने भव किये थे? . उ. .. १ भव प्र. २४ म. स्वामी के जीव ने २७ भवों में नारकी के. कितने भव किये थे ? उ. . . २ भव । प्र. २५ म. स्वामी २७ भवों के अन्तर्गत. देवयोनि के १० भवों में कौन-कौन से देवलोक में प्रादुर्भूत हुए थे ?
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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