SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २५४ ) ! दूसरे उपाय की पूर्ति के लिये कालशौकरिक को राज सभा में बुलाया गया और राजाने आज्ञा दी कि एक दिन तुम किसी का वध मत करो । कालशौकरिक ने कहा - महाराज आप दूसरा कुछ भी काम कह सकते हैं, लेकिन मैं एक समय के लिए भी वध नहीं छोड़ सकता । राजा ने अपनी बात का अनादर होते देखकर महामन्त्री को आज्ञा दी, जाश्रो, इसे ले जाओ और कुए में उल्टा लटका कर एक दिन तक रखो । राजा की आज्ञा का पालन किया गया और कालशौकरिक को कुए में उल्टा लटका दिया गया। लेकिन कालशौकरिक ५०० कल्पित भैंसे बनाकर उनका वध करता रहा । इस प्रकार दोनों ही युक्तियाँ सफल हुई। अतः राजा पूर्णिया श्रावक के घर पहुँचा । 3. . प्र. ३२८ पूरिया श्रावक कौन था ? और क्या करता था ? पूरिया एक साधारण स्थिति का श्रावक था । वह अपने छोटे से आवास में अपनो छोटी सी
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy