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________________ " ६ ] महावीर चरित्र | जहांपर सरोवरोंमें कमल खिले हुए हैं और उनके पास हंस शब्द कर रहे . । मालूम होता है कि वे सरोपर अपने खिलते हुए कमलरूप नेत्रोंसे कृपापूर्वक मार्गके खेदसे खिन्न और प्याससे पीड़ित हुए पायोंको देख रहे है, और हंसोंके शब्दोंके द्वारा उनको जल पीनेके लिये बुला रहे हैं ॥१३॥ " उस पूर्व देश में स्वर्ग पुरीके समान रमणीय श्वेतातपत्रा नामकी नगरी है, जिसमें सदा पूण्यात्मा निवास करते हैं। उसका यह नाम अन्वर्थ है । क्योंकि उसमें श्वेत छत्रवाले राजाका हमेशह निवास रहता है ॥ १४ ॥ इस नगरी के प्राकार ( परकोटा ) पर सूर्य हजार करोंसे - किरणोंसे दूसरे पक्षमे हाथोंसे युक्त होने पर भी आरोहण नहीं कर सकता; क्योंकि इस मेघचुम्बी प्राकारमें लगी हुई नीलमणियोंसे उसको राहुके द्वारा अपने मर्दन होनेकी शंका हो जाती है ॥ १९ ॥ जलपूर्ण खाई आकाशका आक्रमण करनेवाली, तमाल पत्रके समान नील वर्ग वायुके धक्कोंसे ऊपरको उठनेवाली 'तरङ्गपक्ति संचार करनेवाली पर्वत परम्पराके समान मालुम होती है। ॥ १६ ॥ उस नगरीके बाहर अनेक गोपुर हैं। जिनके द्वारोंमेंसे भीड़के प्रवेश करते समय अथवा निकलते समय ऊपरको देखनेका प्रयत्न करनेवाले लोकोंको, उनके (गोपूरके ) ऊपर उठी हुई शिखरोंके अप्र .. भाग में लगे हुए मेघोंके सफ़ेद खण्ड कुछ क्षणके लिये ध्वजा सरीखे - मालूम होने लगते हैं. ॥१७॥ जहांके जिनालयोंकी श्री मिथ्यादृष्टियोंको भी अपने देखनेकी इच्छा बढ़ा देती है। क्योंकि वह हजारों कोटि रत्नोंके स्वामी, शास्त्र के अभ्यासी, श्रावक धर्ममें आशक्त, मांयाचार त्यागी, मदरहित, उदार, और अपनी खीमें ही संतोष • • •
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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