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________________ - - - - - श्रीगुणचंद इत्ति वाढं परितप्पइ मणो, कणयचूडेण भणिय-जइ एवं ता बचामो तत्थ, पडिबन्नं कुमारेण, तओ विमाणमार- वैराग्य महावीरच० हिऊण दोवि गंतु पयट्टा । ६ प्रस्तावः | न्वेषणाच 12 इओ य तं सेन्नं दुद्रुतुरगावहरियं कुमारं सुचिरं अरन्ने पलोइऊण कहवि अपत्तवत्तं निराणदं निरुच्छाह गया। ॥ २१०॥ 8/सिरिपुरं नयरं, निवेइया नरवइस्स कुमारवत्ता, तओ राया अवहरियसबस्सो इव संतावमुबहतो परिचत्तपाणभो यणो चाउरंगिणीए सेणाए अणुगम्ममाणो अंतेउरेण दुस्सहदुक्खकंतहिययाए रयणावलीए व समेओ निग्गओ नयराओ कुमारनेसणनिमित्तं, पत्तो य कमेण तं चेव कायंवरीए मज्झदेसं, पेसिया कुमारावलोपणत्यं सवत्थ । पुरिसा, समारद्धा य निरूविउं, अन्नया इओ तो परिममंतेहिं दिवो सो पुलिंदगो, पलोइयं च से अंगुलीए कुमा-131 दारनामंकियं मुद्दारयणं, तं च दद्वण जइ पुण अणेण विणासिओ होज कुमारोत्ति कुविकष्पकलुसियहियएहि उव-161 णीओ सो नराहिवस्स, तेणावि अणाउलहियएण पुच्छिओ एसो-अहो मुद्ध! मह अवितह साहेसु कत्तो एस मुद्दा-18 रियणलाभो ? कत्थ वा कुमारोत्ति भणिए सो पुलिंदगो अदिट्टयुवं हरिकरिरहभडन्भडं रायलच्छि पेच्छिऊण जाय-JI संखोभो अडविजडं खलंतखरं कुमारवत्तं कहिउमारदो, तो राइणा भणियं-अरे अवरोप्परविरोहिणा वयणसं-161 दादभेण मुणिजइ जहा कुमारो अणेण विणासिओत्ति, कहमन्त्रहा मुद्दारयणलाभो हवेजा ?, न हि जीवंतस्स भुय गाहिवस्स फणारयणं केणावि घेत्तुं पारिजइ ?, एवं ठिएवि पंचरतंजाव सुसंगोवियं करेह एयं, ण मुणिजइ कोऽवि | ल
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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