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________________ जैनमेघदूतम के पात्रों का चरित्राङ्कन श्रीनेमि यद्यपि काव्यशास्त्रकारो ने खण्डकाव्य या दूतकाव्यो के नायक-नायिका आदि पात्रो का चरित्राङ्कन करते समय काव्यशास्त्रीय विवेचन करना आवश्यक नही समझा। परन्तु मेरी दृष्टि से उनमें भी काव्यशास्त्रीय नियम कुछ अंशों में विद्यमान रहता है। अतः यहाँ पर मुझे नायक-नायिका आदि के चरित्राङ्कन करने से पूर्व संक्षेप में काव्यशास्त्रीय विवेचन करना आवश्यक प्रतीत होता है। - 77 दशरूपककार धनञ्जय ने नायक के विषय मे कहा है कि नायक विनीत मधुर, त्यागी, चतुर, प्रिय बोलने वाला, लोकप्रिय पवित्र, वाक् पटु प्रसिद्ध वंश वाला स्थिर युवक, बुद्धि, उत्साह, स्मृति, प्रज्ञा, कला तथा मान से युक्त दृढ, तेजस्वी, शास्त्रों का ज्ञाता और धार्मिक होता है - नेता विनीतो मधुरस्त्यागी दक्षः प्रियंवदः । रक्तलोकः शुचिर्वाग्मी रूढवंशः स्थिरो युवा । । १।। बुद्धयुत्साहस्मृतिप्रज्ञाकलामानसमन्वितः । शूरो दृढश्च तेजस्वी शास्त्रचक्षुश्च धार्मिकः । । २ । । ' यह नायक ललित, शान्त, उदात्त और उद्धत भेद से ४ प्रकार के होते १. धीरललित कोमल (स्वभाव तथा आचार वाला) नायक धीरललित कहलाता है ' निश्चिन्तो धीरललितः कलासक्तः सुखी मृदुः । ' दशरूपकम् २/१, २ पृ. सं. १०९ १ चिन्ता रहित, कलाओं का प्रेमी, सुखी और
SR No.010397
Book TitleJain Meghdutam ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Dwivedi
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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