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________________ रचनाएँ उनके द्वारा रचित साहित्य जैन और भारतीय संस्कृति का महामूल अंग है। इनकी निम्न रचनाएँ है: (१) षड्दर्शन समुच्चय:- इस ग्रन्थ का अपरनाम ‘षड्दर्शननिर्णय' है। ग्रन्थ विक्रम संवत् १४४९ के पूर्व का रचा हुआ है क्यों कि सप्ततिभाष्य टीका मे इस ग्रन्थ का उल्लेख हुआ है:- काव्यं श्री मेघदूताख्यं षड्दर्शन समुच्चयः। भारतीय दर्शन में इसका अपूर्व स्थान है। इसमें बौद्ध, मीमांसा, वेदान्त, सांख्य और वैशेषिक दर्शनों के मूलसिद्धान्तों का वर्णन किया है। तदन्तर इनका खण्डन करते हुए जैनदर्शन को स्वतर्को से परिपुष्ट किया गया है। संक्षिप्त होते हुए भी इस ग्रन्थ में जो तर्क दिये है वे प्रभावयुक्त एवं निर्णयात्मक हैं। (२) बालबोध व्याकरण:- इसका दूसरा नाम 'मेरूतुङ्गव्याकरण और 'कुमारव्याकरण' भी है। श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई ने 'व्याकरण चतुष्क बालबोध' तथा 'तद्धित बालबोध' दो अन्य नाम भी बताये हैं।' व्याकरण सम्बन्धी अति गूढ तत्वों को अत्याधिक सुबोध बना देने वाला यह विरल ग्रन्थ है। (३) जैनमेघदूतम् :- यह आचार्य मेरूतुङ्ग द्वारा रचित अनुपम ग्रन्थ है जिसमे जैन धर्म का परिपालन किया गया है और जीवन के मूल तत्त्वों को बताया गया है। श्री आर्य जय कल्याण केन्द्र, श्री गौतम नीति गुणसागरसूरि जैन मेघ संस्कृति भवन टे. लालजी पुनशी वाडी देश सरललेन घाटकोपर (पूर्व) बम्बई- ४०००७७ जीवन ज्योति नामक पुस्तक में वर्णित है। जैन गूर्जर कवियो का इतिहास मो. द. देसाई भाग ३ पृ. १५७२
SR No.010397
Book TitleJain Meghdutam ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Dwivedi
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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