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________________ (७०) हे राजन् ! त्रिशला देवीने प्रधान स्वप्न १४ देखे वे बहुत उत्तम फल वृत्ति का लाभ देंगे आपको अर्थ भोग पुत्र सुख राज्यादि संपदाओं का लाभ होगा और हमास ७॥ दिन वाद आप के कुल में केतु समान और कुल दीपक, कुल पर्वत, कुलअवनंसक, कुलतिलक कुलकीर्तिकर कुलवृत्तिकर, कुलदिनकर कुलाधार कुलनंदिकर ( आनंद देने वाला ) कुल यश वर्धन कुलपादप (वृक्ष ) कुल वृद्धिकर इत्यादि गुणों वाला सुकुमाल हाथ पेरवाला, अहीन प्रतिपूर्ण पांचेंद्रिय शरीर वाला लक्षण व्यंजन गुणों से युक्त मान उन्मान प्रमाण (जिस का वर्णन पूर्व में पृष्ट पर कहा है ) प्रतिपूर्ण सर्वांग वाला चंद्र समान सौम्य कांत प्रिय दर्शन अच्छे रूपवाला खुबसूरत पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. सेविय णं दारए उम्मुक्कवालभावे विनायपरिणयमित्ते जुब्बणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विकंते विच्छिन्नविपुलवलवाहणेचाउ रंतचकवटी रज्जवई राया भविस्सइ. जिणे वा तिलोगनायगे धम्मवरचाउरंतचकवट्टी ॥ ७६ ।।। वह पुत्र वालावस्था छोड कर युवक होनेपर विज्ञान की प्राप्ति से शूरवीर विस्तीर्ण विपुल सेना वाहन का मालिक होगा और वह चक्रवर्ती राजा की पदवी पावेगा अथवा तीन लोक के नाथ धर्म चक्रवर्ती तीर्थंकर प्रभु होंगे. तं उराला णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा, जाव आरुग्गतुहिदीहाऊकल्लाणमंगल्लकारगा एं देवाणुप्पिा !तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिवा॥८॥ __ इसलिये पुण्यवती त्रिशला देवी ने जो स्वप्न देखे हैं वे निरोगता दीर्घायु संतोप देने वाले कल्याण मंगल करने वाले स्वप्न देखे हैं. तएणं सिद्धत्थं राया तेसिं सुमिणलक्खणपाढगाणं अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हटे तुढे चित्तमाणंदिते पीयमणे परमसोमणसिए हरिसवसविसप्पमाणहिए करयलजाव ते सुमिणलक्खणपाढगे एवं वयासी ॥१॥
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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