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________________ ( ५९ ) उठ करके पयही पर पैर रखकर नीचे उतर कर अपनी कसरत शाला में गया और अनेक प्रकार की कसरत, व्यायाम, अंगमोडन मल्लयुद्ध करने पर निस समय शरीर से पसीना निकलने लगा उस समय, शत पाक सहस्र पाक ( हजार वनस्पति, औषधी का वना ) नामी तेल से निपुण मर्दन कारों से मालिश कराई वो तेल रस लोह धातु वीर्य इत्यादि को पुष्ट करने वाला था, उदर की गरमी पाचन शक्ती वढाने वाला था, काम शक्ति बढाने वाला था मांस बढाने वाला पराक्रम देने वाला था और अंग के सर्व भागों में पानन्द उत्पन्न करने वाला था और मर्दनकार अर्थात् मालिश करने वाले बड़े चतुर प्रवीण कुशल पुरुष थे जो समय पर कष्ट परिसह की परवाह नहीं करते थे. ऐसे पुरुषों से हड्डीके सुख के लिये मांस चमड़ी रोम राजी के सुख के लिये शरीर रक्षा के निमित्त शांति होने के लिये, मर्दन कराया थोड़े समय शांति से ठहर कर फिर कसरतशाला से निकल कर स्नानागार में गया । पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ अणुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे रहाणमंडवसि नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि रहाणपीढंसि सुहनिसरणे पुष्फोदएहि अगंधोदयएहि अ उगहोदएहि असुहोदएहि भ सुद्धोदएहि अ, कल्लाणकरणपवरमज्जणविहीए मज्जिए, तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहिं कन्लाणगपरमज्जाणावसाणे पमहलसुकुमालगंधकासाइअलूहिअंगेश्रयसुमहग्घदूसरयणसु संबुडे सरससुरभिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावरणगवि लेवणे भाविद्धमणिसुवरणे कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोभे पिणद्धगेविज्जे अंगुलिज्जगललियकयाभरणे वरकडगतुडिअभिप्रभुए अहिअरूवसस्सिरीए कुंडलउज्जोइयाणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइअवच्छे मुदिशापिंगलंगुलीए पालंवपलबमाणसुक्यपडउत्तरिज्जे ना
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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