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________________ ( १८ ) बीस वर्ष की आयुष्य पूरी कर कर तेरे प्राण पखेरू उस हाथी की योनी में से अत्यन्त दुख पाकर निकल गये और फिर विध्याचल पर्वत पर चार दांत दाना सानो व्ययों का स्वामी तू हाथी हवा वहां भी दावानल लगा देख कर तुझे जाति सभ्य ज्ञान का जिसमें तुने अपने पूर्व भव को देख और उस में सही हुई आपदाओं का सारण कर वहां से नहीं भगा किन्तु वहीं कांस तक की पृथ्वी को धान रहन कर कर रहने लगा दूसरे वन के अनेक प उस जगह के निर्विघ्न अर्थात् जहां दान नहीं पहुंच सकेगा ऐसी जानकर तेरे समीप आकर बैठ गये इन पशु वहां गये कि चार कोन में एक निल भर जगह भी खाली नहीं बची हो या कुचरने के लिये अपने एक पग को ऊंचा लिया परन्तु एक खरगोश तेरे पैर की जगह आकर उसी समय बैठ गया उसे देखकर तुझे दया उत्पन्न हुई और उसकी रक्षा करने के हेतु अपने पैर को नीचे न रखकर अवर रक्खा जब तीन दिन के पथान दावानल शांत हुई योर सर्व पशु वहाँ से चले गये तो अपने तीन रोज तक अथर रखे हुए पैर को नीचे रखना चाहा परन्तु पग के अकड़ जाने से तू एकदम गिर गया और इतना कमजोर होगया कि वहां से न उठ सका भूख प्यास से पीड़ित होकर करालु हृदय बाला नेरा जीव सो वर्ष की आयुष्य पूरी करके उस हाथी की योनि को छोड़कर राणी धारणी के कुछ में उत्पन्न हुवा इस प्रकार से भगवान मेबकुमार को उसके पूर्व के तीन भव की कथा कहकर कहने लगे कि हे संघकुमार ऐसा दुर्व्यान करना तेरे योग्य नहीं, नक नियेच के तेरे जीवने अनेक बार दुःख सद्दे जिसके मुकाबले में ये दुःख किञ्चित् मात्र भी नहीं ऐसा कोन सूखे संसार में होगा जो चक्रवर्ती की ऋद्धि को छोडकर दासपणे की इच्छा करे हे शिष्य मरना उत्तम है परन्तु चारित्र त्याग करना बहुत बुरा है- अब जो बन भंग कर घर को जावेगा तो प्राप्त हुई अमुल्य लक्ष्मी को हार जावेगा ऐसे वीर भगवान के मीठे बचन सुनने से अपने मनमें पूर्व में संह हुवे कठिन दुखों की विचारता हुवा और फिर ऐसे दुःख न सहने पड़े इसवास्ते स्थिर मन होकर चक्षु सिवाय सर्व शरीर की मृथा छोड़ना हुवा पूर्णतया चारित्र पालने लगा और आयु समाप्त कर विजय विमान में अनुत्तग्वामी देव हुवा..
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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