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________________ (१८६) अज्जमुहत्यी वामिट्टसगुत्त, थेरम्स णं अज्जमुहत्थिस्स वासिट्ठसगुत्तस्म अंतेवामी दुवे थेरा लुट्ठियसुपडिबुद्धा कोडियका. कंदगा वग्याचसगुता, थेराणं मूटिगप्पडियद्वाणं कोडियकाकंदगाणं वग्यावसाताम् अन्तवासी थेरे अजहंदादिन्ने कोसियगुत्ते, घरस्त एं अजमददिन्नन्स कोमियगुत्तरम अते. वाली थरे अज्जदिने नोयमसगुने, धेरस्म णं अज्जदिन्नस्त गोयमसगुत्तस्म शतेवामी धेरै अन्जसाहगिरी जाइस्सर को. सियगुने, थरस्म णं अजसाहगिरिस्म जाइस्मरस्स कोसिबगुत्तम्स अंतवासी घरे अज्जवर गोयममगुते, रस्म एं अजब रस्म गोयनगगुन्तस्स अंतवासी थेर अज्जबहरमणे उकोमियगुत्ते, थेरस्म णं अजबइरसेणस्सं उक्कोसिअगुत्तस्स अंतेनासी चत्वारि थरा-थेर अज्जनाइले १ थेरे अन्जपोमिले २ थो अजजयंते ३थेरे अज्जतावसे ४ थेरानो अज्जनाइन्सानो अज्जनाइला साहा निगया, थेरानो अजपामिलामो अज्जपोमिला साहानिरगया,थेरायोअज्ज जयंताओं अजजयंती साहा निगया, थेरानो अज्जतावसायो अज्जतावनी साहा निग्गया १ इति ॥६॥ आर्य मुद्दस्ति के मुस्थिन और सुप्रति बद्ध नामक दो शिष्य हुए जिनके गोत्र कोटिक काकंदग व्याघ्रापत्य था इनका शिष्य इन्द्र दिन कौशिक गोत्र फा या उनका शिष्य आर्यदिन्न मुनि गौतम गोत्र के थे, उनके अंते वासी (अ. निमिय शिष्य ) आर्य मिंहगिरि कोशिक गोत्र के थे, उनके शिष्य जानिस्मरण झाट वाले प्रायवद्र स्वामी भागम गोत्र के थे, आर्यवत स्वामी। थे मामकी वयमें किसी के पाय घर अस्मे पिना धनगिरि की दीचा सु
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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