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________________ ( १६० ) हो समयसाहस्सी मिस्स वरदत्तपासुक्खाओ अट्ठारम उकासिया समणसंपया हुत्था ॥ १७६ ॥ अरहो अरिनेमिस्स अज्जजक्खिपिपासुक्खाओ चत्तालीसं यज्जियामाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंगया हुत्था. रहणं चरिनेमिस्स नंदपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी उत्तरं च सहस्मा उक्कोसिया समणोवास गाणं संपया हुत्था ॥ १७८ ॥ रो रिट्ठ० महासुब्वयापामुक्खाणं समणोवासिगाणं निरिण सय साहस्ती छत्तीसं च सहस्सा उक्कोसिया समोवासियाणं संपया ॥ १७६ ॥ अरहयो णं रिट्ठनेमिस्त्र चत्तारि सया चउदसपुब्बीणं अजिणाएं जिसका साणं सव्वक्खर जाव हुत्था ॥ १८० ॥ पनरससयां योहिनाणीणं, पन्नरसस्या केवलनाणी, पन्नरससया उब्वियाणं, दससया विउलमईं, अट्ठसया वाईणं, सोलससया अणुत्तरोववाहश्राणं, पन्नरस समणसया सिद्धा, तीसं अज्जियासयाई सिद्धाई || १८१ ॥ नेमिनाथ का परिवार 8 नेमिनाथ के १८ गणवर, १८ गण ये, १८००० साधु ये जिसमें वरदत्त बड़े थे, और ४०००० साध्वी में आर्य यक्षिणी बड़ी थी, नंद वगैरह १६६००० श्रावक थे श्राविका ३३६००० में महा सुत्रना बड़ी थी, ४०० चौदह पूर्वी थे, १५०० अवधि ज्ञानी १५०० केवल ज्ञानी, १५०० वैक्रिय लग्यि वाले, १००० चिल मति मन पर्यत्र ज्ञानी, ८०० बादी १६०० अनुत्तर मानवासी, १५०० सानु मोच में गये ३००० साध्वी मोच में गई.
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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