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________________ - अरहोणं अरिद्वनेमिस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी परियायंतगडभूमी य-जाव अट्ठमात्रो पुरिसजुगाओ जुगतगडभूमी, दुवासपरिमाए अंतमकासी ॥ १८२ ॥ नेमिनाथ प्रभु के आठ पट्ट तक मुक्ति रही, तीर्थ से १२ वर्ष बाद मुक्ति शरु हुई. तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिहनेमी, तिरिण वाससयाई कुमारवासमझे वसित्ता चउपन्नं राइंदियाई छउमत्थपरिवायं पाउणित्ता देसूणाई सत्त वाससयाई केवलिपरियाय पाउणित्ता परिपुरणाई सत्तवाससयाइं सामण्णपरिश्रायं पाउणित्ताएगं वाससहस्सं सम्याउग्रं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे प्रोसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए वहविइकंताए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्टमे परखे थासाढसुद्धे तस्स एं श्रासाढसुद्धस्स अट्ठमीपवखे णं उप्पिं उउज्जितसेलसिहरसि पंचहिं छत्तीसहिं अणगारसएहि सद्धिं मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुबरत्तावरत्तकालसमयसि नेसज्जिए कालगए (अं. ८००) जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १८३ ॥ नेमिनाथ ३०० वर्ष ब्रह्मचारी, ५४ दिन छद्मरथ दीक्षा, ७०० वर्ष में ५४ दिन बाद केवली पर्याय ७०० वर्ष का पूरा साधुपना पालकर १००० वर्ष का पूरा आयु पाल चार अघाति कर्म दर होने से असाड मुढी ८ को चित्रा चन्द्र नक्षत्र में गिरिनार पर्वत उपर ३३६ साधुओं के साथ एक मास का अनशन फर मध्य रात्रि में मुक्ति गये. भरहयो णं अरिट्टनेमिस्स कालगयस्स जाव सब्बदु
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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