SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'जिन सिद्धान्त ] उत्तर---गोत्र कर्म के दो भेद हैं-( १ ) उच्च गोत्र, (२) नीच गोत्र। प्रश्न-उच्च गोत्र कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर---जिस कर्म के उदय से जीव मनुष्य तथा देव गति में जन्म लेवे, उस कर्म का नाम उच्च गोत्र है । प्रश्न-नीच गोत्र किसे कहते हैं ? ___ उत्तर-जिस कर्म के उदय से जीव तिर्यञ्च तथा नरकगति में जन्म लेवे उस कर्म का नाम नीच गोत्र है। प्रश्न-अन्तराय कर्म किसे कहते हैं ? ___उचर-जीव की वीर्य-शक्ति का घात करे उसे अन्तराय कर्म कहते हैं। प्रश्न-अंतराय कर्म के कितने भेद हैं ? उत्तर-अन्तराय कर्म के ५भेद हैं-(१) दानान्तराय (२) लाभान्तराय, (३) भोगान्तराय, (४) उपभोगान्तराय और ( ५ ) वीर्यान्तराय । प्रश्न-दानान्तराय किसे कहते हैं ? उत्तर-दान देने में वीर्य शक्ति के अभाव को दानान्तराय कहते हैं। प्रश्न--लाभान्तराय किसे कहते हैं ? उत्तर-व्यवसाय करने में वीर्य शक्ति के अभाव को लाभान्तराय कहते हैं।
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy