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________________ VA [जिन सिद्धान्त ____ उत्तर-जिस कर्म के उदय से कांति सहित शरीर उपजे एवं बहुमान्यता उत्पन्न होती हो, उस कर्मका नाम आदेय नामकर्म है । प्रश्न-अनादेय नामकर्म किसे कहते हैं ? ___उत्तर-जिस कर्म के उदय से कांति सहित शरीर न हो एवं अनादरणीयता उत्पन्न होती हो, उस कर्म का नाम अनादेय नाम कर्म है। प्रश्न-यशःकीर्ति नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय से संसार में जीव की प्रशंसा हो, उस कर्म को यश कीर्ति नामकर्म कहते हैं। प्रश्न--अयशः कीर्ति नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस कर्म के उदय से संसार में जीव की प्रशंसा न हो, उस कर्म को अयश कीर्ति नामकर्म कहते हैं। प्रश्न--तीर्थकर नाम कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय के कारण जिन धर्म तीर्थ की स्थापना करे, उस कर्म का नाम तीर्थकर नामकर्म है। प्रश्न-गोत्र कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस कर्म के उदय से जीव उच्च तथा नीच गोत्र में जन्म लेवे, उसे गोत्रकर्म कहते हैं। प्रश्न--गोत्रकर्म के कितने भेद हैं ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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