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________________ जिन सिद्धान्त ] मेदा, मज्जा, अस्थिर और शुक्र इन धातुओं का परिणमन होता रहे वह अस्थिर नामकर्म है। प्रश्न---शुभ नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय से शरीर के अवयव सुन्दर हों, उसे शुभ नामकर्म कहते हैं। प्रश्न-~-अशुभ नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय से शरीर के अवयव सुन्दर न हों, उस कर्म का नाम अशुभ नामकर्म है । प्रश्न--सुभग नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय से दूसरे जीव अपने से श्रीति करें उसे सुभग नामकर्म कहते हैं । प्रश्न--दुर्भग नाम किसे कहते हैं ? ___ उत्तर-जिस कर्म के उदय से दूसरे जीव अपने से और करें, उस कर्म का नाम दुर्भग नामकर्म है। प्रश्न--सुस्वर नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय से सुन्दर स्वर हो, उस कर्म का नाम सुस्वर नामकर्म है। प्रश्न--दुःस्वर नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--जिस कर्म के उदय से स्वर अच्छा न हो, उस कर्म का नाम दुःस्वर नाककर्म है। प्रश्न--प्रादेय नामकर्म किसे कहते हैं ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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