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________________ जिन सिद्धान्त ] गुथ, (४) चारित्र गुण, (५) वीर्यगुण, (६) सुखगुण, (७) योग गुण, (८) क्रियागुण, (६) अव्यावाध गुण, (१०) अवगाहना गुण, (११) अगुरुलघुत्व गुण, ( १२ ) शुक्ष्मत्व गुण | 1 प्रश्न -- ज्ञान गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर -- केवलज्ञान का नाम ज्ञान गुण की शुद्ध श्रवस्था है । ४६ प्रश्न - दर्शन गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर -- केवलदर्शन का नाम दर्शनगुण की शुद्ध अवस्था है। प्रश्न --- श्रद्धागुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर --- क्षायिक सम्यग्दर्शन होना श्रद्धागुण की शुद्ध अवस्था है । प्रश्न - चारित्रगुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर - निराकुल दशा अर्थात् यथाख्यात चारित्र को चारित्रगुण की शुद्ध अवस्था कहते हैं । प्रश्न - वीर्यगुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर - अनन्त श्रात्मिक वीर्य का नाम वीर्य गुण की शुद्ध अवस्था है । प्रश्न- योग गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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