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________________ ५० [ जिन सिद्धान्त उत्तर - निष्क्रम्प अवस्था का नाम योगगुण की 4454527 शुद्ध अवस्था है। प्रश्न- सुख गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर - अनन्त सुख का नाम सुखगुण की शुद्ध अवस्था है, जिस सुखको अनन्तज्ञान अनन्तदर्शन भोग सकता है परन्तु क्षयोपशम ज्ञानादि भोग नहीं सकता। प्रश्न – क्रिया गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं? उत्तर - आत्मा की निष्क्रियत्व अवस्था अर्थात् गमनरहित अवस्था का नाम क्रियागुण की शुद्ध अवस्था है । प्रश्न- अव्यावाध गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ? उत्तर - वेदनीय कर्म के प्रभाव से अव्यावाच गुण की शुद्ध अवस्था होती है। प्रश्न- अवगाहन गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते है ? उत्तर - नाम कर्म के अभाव से अवगाहन गुण की शुद्ध अवस्था होती है । प्रश्न - अगुरुलघुत्व गुण की शुद्ध अवस्था किसे कहते हैं ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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