SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिन सिद्धान्त प्रश्न--अप्रत्याख्यान कपाय किस गुणस्थान में होती है ? ___ उत्तर--यह चौथे गुणस्थान में होती है । चौथे गुणस्थान वाले जीव को अवती-सम्यग्दृष्टि पाक्षिक श्रावक कहते हैं। . प्रश्न--प्रत्याख्यान कपाय किसको कहते हैं ? उत्तर--स की हिंसा का राग छूट जाबे परन्तु स्थावर की हिंसा का राग न छूटे अर्थात्. सकल संयम होने न देवे ऐसी कषाय का नाम प्रत्याख्यान कपाय है। अन्न-प्रत्याख्यान पाय किस गुणस्थानमें होती ? उत्तर-प्रत्याख्यान पाय पंचम गुणस्थान में होती है जिसको वती-प्रावक कहा जाता है। श्रावक के ग्यारह दजें हैं जिनको प्रतिमा कहते हैं। प्रश्न-संचलन कपाय किमको कहते हैं ? उत्तर-वस तथा स्थावर की हिमा का गग छूट जावे अर्थान् सकल-संयम हो जाये परन्तु पीतराग भाव न होने देवे गी कपाय का नाम मंचलन काय है। प्रश्न- यह कपाय किस गुणस्थान में होती है ? उत्तर ~~यह ऋपाय छठे गुणस्थान से लेकर इस गुणस्थान के अन्त तक रहनी है । इस अपाय वाले जीवको मुनि महाराज कहा जाता है ?
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy