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________________ hc जिन मिद्धान्त प्रश्न-अनन्तानुबन्धी कषाय किसको कहते हैं ? उत्तर--पांचों इन्द्रियों के विषयों में सुख है परन्तु मेरी आत्मा में सुख नहीं है, ऐसी मान्यता ( सम्यक्त्व धाण न कर सकने ) को अनन्तानुवन्धीकपाय कहते हैं । प्रश्न---अनन्तानुबन्धी लोभ किसको कहते हैं ? उत्तर--लोक में अनन्त पदार्थ हैं, जिस जोवने एक पदार्थ में सुख की कल्पना की उसने अव्यक्त रूप से अनन्त पदार्थों में सुख की कल्पना करली, अतः ऐसी कषाय का नाम अनन्तानुबन्धी लोभ हैं। प्रश्न-अनन्तानुबन्धी क्रोध किसको कहते हैं ? उत्तर--लोक में पदार्थ अनन्त हैं, तो भी उन पदार्थों में से एक पदार्थ में जिसने दुःख की कल्पना की है उसने अप्रत्यक्षरूप से अनन्त पदार्थों में दुःख की कल्पना करली, ऐसी कषाय को अनन्तानुसन्धी क्रोध कहते हैं। ___ प्रश्न-अप्रत्याख्यान कपाय किसको कहते हैं ? ___ उत्तर-पर पदार्थ सुख-दुःख के कारण नहीं हैं परन्तु दुख का कारण मेरा राग आदि भाव है और सुख का कारण वीतराग भाव है, ऐसी श्रद्धा होते हुये भी रागादि नहीं छोड़ सकता है अर्थात् एक देश चारित्र का पालन नहीं कर सकता है, ऐसी कपाय का नाम अप्रत्याख्यान कपाय है।
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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