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________________ मुक्त प्रयोग 'लिवरेटेड माइड ।' शेइलेन (शैलेन्द्र) ने ऊपर उटते हुए सिगरेट के धुए पो देखा । वह देर से सिगरेट लेकर धुए को इसी तरह देखते हुए रेस्तरा मे बंटा था, सिर्फ पानी के गिलास के वल अपने को सम्हाले रख रहा था। भीतर से वह सूना था और आसपास कई वार श्रापर घूमते हुए बैटर को देख कर भी उसने मीनू के शीट पर से कुछ प्राडंर नहीं दिया था। पानी पीता, फिर सिगरेट पीने लगता , सिगरेट पीता और पिर पानी का सिप लेने लगता । इसी समय मालूम हुना कि सिगरेट के धुए के ऊपर से होकर जैसे हवाई भाप से बने बादल के खण्ड-सा कुछ उसके सामने अधर में तैर पाया है। वह कुछ घचला है, कुछ उजला है। पहा उसे अजव लगा । फिर उसने पहचाना कि ग्रोह, वह तो उस का अपना ही है लिवरेटेट माइड । शेइलेन मामूली युवक नहीं है। अवस्था तीस वर्ष की होगी। लकिन वय से अधिक विश्वस्त है । अपनी प्रतिमा को जानता है और साधारण को नापसन्द करता है । स्याल उस के ऊचाध्या मे न्ह्ते है और वह रिसी तन्ह या वधन या सत्तंव्य यासपास पसन्द नहीं करता है। पर अधर मे तैरते हुए उस लिबरेटेड माइट को उमने फनगियो से देखा और मन ही मन कुछ कुटा । उस कुटन में पटवाट्ट थी । उरी फल को पाम याद आई, जब उसके साढे तेरह रपए एयः साय सचं हो गए थे। साढे बारह का बिल, एक रपया टिप | दो उसके माथी ये और एक हजरत जो माने हुए लेसका मान लिए जाते हैं। असल में तो वह घाम उन्ही के लिए बनाई गई थी और यहा उसने एमाह
SR No.010363
Book TitleJainendra Kahani 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvodaya Prakashan
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1966
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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