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________________ १०४ जो मो महानिमा भाग "मग मा सना । बड़ी पाने पेटीमा । पोरगी ? पर भी नहीं मिलेगी।" "मार माह है?" " नहीं । विमला मारण नुम भागया ! साता है। तुम्हारे माय मेनुगत पार न पा गाने को न में, ना निरन हो गौर तुमने उगने कोई दावा भी न टाना नदियाद उपम्मिा विमा हो। लेकिन तुम उमे गजान मगन्ना।" "मामा यात नमीलिए । पानीमा पहिए।" ___ "अपनी ही पाता।ौपदी अपनी ही है, बिमना अपनी म मपन हो। दोपदी को शिमला में शिवना-गितना प्यार किया है । गोरे रष्ट मी पूजी में तुम कोई योजना मारम न पला । विगना को दूर जाना पहें, टूट जाना पड़ें, रेला मोई याम गुपन न माना।" "HITोद्विा उग, उमपी पगे।" पीत में स्वर में पटना मान पानगर होने कहा। "नों बेटे, पमा ना ?" "शाने श्रीजिए ! यह पार नोटि" "दो, गनी' नो, नहीडा ! गुम दुयो मेशिनमा "दुधी भीनी!" मीमा म मादीन हा मोरोपा, "शो में मो६ पाना नहीं है। मोर पार और निरसी गोडामा माप For mix मा. नामा मोपदीय नगनही समान" ___ भी और iiti ript" पर 24 mirarar को नाम नभर ITEM Tr En, "zा, मनिrya! म ? "
SR No.010363
Book TitleJainendra Kahani 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvodaya Prakashan
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1966
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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