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________________ (१४४) विधि का उपयोग करना न करना इच्छा के ऊपर निर्भर है। किसी एक नगर मे दमा नगर को यात्रा करने के लिये रेलगाड़ी चलती है । इस तरह यात्रियों के लिये रेलगाडी नियत करटी गई है परन्तु इसका मतलब यह नहीं है । कि वहाँ मोटर से,घोड़ से या अपने पैगल यात्रा नहीं हो सकती। रेलगाडी को यात्रा के साधनों में मुख्यता मले ही देदी जाय परन्तु उन अनिवार्य नहीं कह सकते। इसी तरह नियत शास्त्रविधिको मले ही कोई मुख्य समझे परन्तु अनिवार्य नहीं कह सकते । अनिवार्य नो बारित्रमोह श्रादि ही है। रेलगाडी के अभाव में यात्रा के समान विवाह विधि के अभाव में भी विवाह हो सकता है। आक्षेप (8)-प्रद्युम्न को गांधर्व विवाह से पैदा हुआ कहना धृष्टता है। गांधर्व विवाहजान है कर्ण, इस से वे नाजायज़ है। समाधान-कर्ण के विषय में हम पहिले लिख चुके हैं और इस प्रश्न के श्राक्षप'च' के समाधान में भी लिख चुके है। कर्ण व्यभिचारजात हे गाधर्व विवाहोत्पन्न नहीं। रुक्मिणी का अगर गांधविवाह नहीं था तो बतलाना चाहिये कि कौन मा विवाह था । प्रारम्भ के चार विवाहों में श्राप लोग कन्या दान मानते है। रैवतकगिरि के ऊपर कन्यादान किसने किया था? वहाँ तो रुकमणो, कृष्ण और बलदेव के सिवाय और कोई नहीं था। गांधर्व विवाह में "स्वेच्छया अन्योन्यसम्बन्ध" होता है । रुक्मणी ने मी माता पिता आदि की इच्छा के विरुद्ध अपनी इच्छा से सम्बन्ध किया था। गांधर्व विवाह व्यभिचार नहीं है जिससे प्रद्युम्न व्यभिचारजान कहला सके । यहाँ पर आक्षेपक अपने साथी आक्षेपक के साथ भी भिड़ गया है। विद्यानन्द कहते हैं---गांबविवाह, विवाहविधि
SR No.010349
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year1931
Total Pages247
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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