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________________ ( ७) दत है। अब परिडतों से हम पूछते हैं कि उनकी क्या सलाह है ? अगर वे गुप्त व्यभिचार की सलाह देते है, तो उसके भीतर भ्रूणहत्या की मलाह भी शामिल है क्योंकि भ्रूणहत्या न करने पर व्यभिचार गुप्त न रह मकमा । इसलिये इस सलाह स पण्डितों को भ्रणहत्या का दोपो होना ही पड़ेगा। अगर व विधवाविवाह की सलाह देते है ना भ्रूणहत्या के पाप से बच सकते है। यदि घेइम पाप से बचना चाहते है तो उन्हें विधवाविवाह का व्यभिचार और भ्रणहत्या से भी वुग कहने की बान प्रायश्चित्त के साथ वापिस लेना चाहिये । ऐसी हालत में ये पण्डित सुधारकों से जुटे नहीं रह सकते। क्योंकि सुधारक लांग भी व्यभिचार प्रादि की अपेक्षा विधवाविवाह को अच्छा समझते है, पूर्णब्रह्मचर्य में विधवाविवाह को अच्छा नहीं समझते । उस वक्तव्य से सिद्ध हो जाता है कि पण्डित लोग भ्रणहत्या आदि का प्रचार बुल्लमखुल्ला भले ही न करते हो परन्तु उनके सिद्धान्त ही ऐसे है कि जिम्मस भ्रणहत्या का समर्थन ता होता ही है साथ ही उसको उत्तेजन भी मिलता है। और यह पाप विधवाविवाह करने वाली बहिनों को नहीं करना पडता, बल्कि उन्हें करना पडना है जो पण्डिनों के कथनानुसार विधवाविवाह को गालियाँ देती है या उससे दूर रहती हैं। आक्षेप (छ)-श्राप लिग्नते है कि स्थितिपालको में सभी भ्रूणहत्या पसन्द नहीं करते परन्तु फीसदी नब्वे करते हैं । इस परम्पर विगंधी वाक्य का क्या मतलब ? समाधान-इस आक्षेप में आक्षेपक ने अपने भाषाविमान का ही नहीं, माषामान का भी दिवाला निकाल दिया है। पूणांश के निषेध में अल्पांश की विधि भी उन्हें परस्पर विरुद्ध मालूम होनी है। अगर कार्ड कहें कि मेरे पास पृग रुपया तो नहीं है, चौदह श्राने है । नी भी आक्षेपक यही
SR No.010349
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year1931
Total Pages247
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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