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________________ २२६ उत्तरज्झयणं उवासगाणं पडिमासु भिवखूणं पडिमासु य । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ।। ११ ।। किरियासु भूयगामेसु परमाहम्मिएसु य । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ।। १२ ।। गाहासोलसएहिं तहा अस्संजमम्मि य। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥ १३ वम्भम्मि नायज्झयणेसु ठाणेसु या समाहिए। जे भिक्ख जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥ १४ ॥ एगवीसाए सवलेसु वावीसाए परीसहे। जे भिक्खु जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥ १५ ॥ तेवीसइ सूयगडे रूवाहिएसु सुरेसु अ। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ।। १६ ।। पणवीसभावणाहिं उद्देसेसु दसाइणं । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥ १७ ॥ अणगारगुणेहिं च पकप्पम्मि तहेव य । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥ १८ ।। पावसुयपसंगेसु मोहटाणेसु चेव य । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥ १६ ॥ सिद्धाइगृणजोगेस तेत्तीसासायणास य। जे भिक्ख जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ।। २० ।। इइ एएस ठाणेसु जे भिक्खू जयई सया। । खिप्पं से सव्वसंसारा विप्पमुच्चइ पण्डिओ ।। २१ ॥ ---त्ति वेमि ।। .
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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