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________________ दसमं अज्झयणं १०६ वाउक्कायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । .. कालं संखाईयं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ८ ॥ वणस्सइकायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालमणन्तदुरन्तं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ६ ॥ वेइन्दियकायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखिज्जसन्नियं समयं गोयम ! मा पमायए ।॥ १०॥ तेइन्दियकायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखिज्जसन्नियं समयं गोयम ! मा पमायए॥११॥ चउरिन्दियकायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखिज्जसन्नियं समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२॥ पंचिन्दियकायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । सत्तट्ट भवग्गहणे समयं गोयम ! मा पमायए ।। १३ ।। देवे नेरइए य अइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । इक्किक्क-भवग्गहणे . . समयं गोयम ! मा पमायए ॥ १४ ॥ एवं भव-संसारे संसरइ सुहासुहेहि कम्मेहिं । जीवो पमाय-वहुलो समयं गोयम ! मा पमायए ।। १५ ।। लद्धण वि माणुसत्तणं आरिअत्तं पुणरावि दुल्लहं । वहवे दसुया मिलेखुया समयं गोयम ! मा पमायए ॥ १६ ॥
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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