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________________ __१०८ उत्तरज्झयणं दसमं अज्झयणं दुमपत्तयं दुमपत्तए पंडुयए जहा निवडइ राइगणाण अच्चए। एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ १ ॥ कुसग्गे जह ओसविन्दुए थोवं चिट्टइ लम्वमाणए। एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ २ ॥ इइ इत्तरियम्मि आउए जीवियए वहुपच्चवायए । विहुणाहि रयं पुरे कडं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३ ॥ दुलहे खलु माणुसे भवे चिरकालेण वि सव्वपाणिणं । गाढा य विवाग कम्मुणो समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ४ ॥ पूढविक्कायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे। कालं संखाईयं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ५ ॥ आउक्कायमइगओ उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखाईयं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ६ ॥ तेउक्कायमइगो उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखाईयं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ७ ॥
SR No.010329
Book TitleJainagam Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhileshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages383
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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