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________________ ४४] जैन नीर्थयात्रादर्शक। ( ७६ ) स्टेशन जूनागढ़। यहां स्टेशनसे यात्रियोंको सीधा पहाडको तलेटीकी धर्मशालामें जाना हो तो स्टेशनसे तलेटी ४ मील है, तांगावाला ॥) सवारी लेकर सोधा तलेटी पहुंचाता है। अगर यात्रियोंको जुनागढकी धर्मशालामें ठहरना हो तो १ मीलका -) आना सवारी लेकर तांगावाला जल्दी पहुंचा देता है। (७७ ) जूनागढ़ । यहांपर दि० धर्मशाला, कुआ, मन्दिर है, तीर्थराज का भंडार लेनेवाले मुनीम यहांपर रहते हैं। यह राज्य बहुत रोनकदार है, सामान यहां सब मिलता है। यहांपर किसीको कुछ देखना हो तो कचहरीसे फार्म मिलता है मो गना सा० का महल, बगीचा, जूनागढ़ देखे । जूनागदमें बहुत लम्बा चौडा मनवृत किला है, इसमें ४ तालाव, बगीचा, मकान बडी २ नोपे देखने योग्य हैं । फार्म फ्री ( विना पैसे के ) मिलता है। फिर तलेटी यहांसे सामान आदि लेकर नावे । राम्तेमें वणवोंका मंदिर, मडक, बगीचा, नदी आदि देखने योग्य हैं। मो रास्तेसे ही देखता नाय । फिर गिरनार सिद्धक्षेत्रकी धर्मशाला है। यहांपर दि०श्वे० दोनों की अलगर धर्मशाला व मंदिर है। यहां कुआ, तालाव, जंगल, महाजनोंकी दुकानें हैं । यहाँपर मुनीम, पुनारी, नौकर सब रहते हैं। पहाडके ऊपर जानेके लिये डोली ५)-८) रूपयामें मिलती है। गोदीवाला मजूर भी मिलता है । यहांसे सवेरे ४-५ बजे शौचादि नित्य क्रियासे निमटकर शुद्ध द्रव्य सामग्री, कुछ रुपया, पैसे, पाई लेकर जयर करते हुए पहाडपर चढ़े। यहांसे पहाडकी कुल चढ़ाई ३॥ मील
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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