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________________ २० ] जैन तीर्थयात्रादर्शक | केशर फूल आदि चढ़ने हैं । आरती होती है । जयपुर निवासी मान्यवर भट्टारकजी कभी २ यहां पर रहते हैं। मेले में आनंद बहुत आता है। मजर और भील लोग भगवानकी बहुत भक्ति करते हैं । गाते बनाने हैं । रथको उठाकर नदीपर लेजाते हैं । घृत, केशर, 1 दूध, नारियल, आदि शुद्ध द्रव्य भगवानको चढ़ाते हैं। पूजा भक्ति करते हुए अपना जन्म सफल मानते हैं । यहां एक हनुमानजी की बड़ी भारी मूर्ति है । उसको हिन्दुलोग पूजने आते हैं । अन्यमती लोग इमीको महावीर बोलते हैं । इस स्टेशनका नाम महावीर रोड प्रसिद्ध है । अपने दि० जैन मंदिर में ५ वेदी और बड़ी२ प्रतिमाएं मौजूद हैं। महान अतिशयवान रमणीक हैं। किंवदन्ती है कि एक ग्वाला हमेशा जंगलमें गाय चराने जाया करता था जिस जगह ये प्रतिमाजी थी, उसी जगह पर एक गाय का दूध अपने आप निकल जाता था । गाय भी रोज आकर खड़ी होजाती थी और दूध झग्ने लगता था । किमी दिन यह बात उस ग्वालेने देख ली | और यह बात अपने मालिक और गांववालोंसे कही । ग्रामवासी आश्रय में थे कि गायका. दूध क्यों झर जाता है । उसी दिन रात्रिको खालेके लिये स्वप्न हुआ कि यहांपर १ मूर्ति है सो गांववालों को बोलकर निकाल लो। सवेरे उठकर यह बात गांववालोंसे ग्वालेने कही । फिर सब लोग मिलकर वहांपर गये । और खोदना शुरू किया। थोड़ा ही खोदा था कि भीतरसे आवाज आई " मेरे चोट लगती है, धीरे २ खोदो " ! फिर लोगोंने धीरे २ खोदा और मूर्ति बाहर निकाल ली । आवाज आनेके पहिले मूर्तिको चोट लगी थी जिससे नाक खंडित हो गयीं थी। वह अब भी है। फिर उस A
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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