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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। (२९) सांगानेर। यह शहर पहिले बहुत बड़ा तथा नामी था, सो टूटकर न्यपुर वसा है। स्टेशनसे १ मील है और जयपुरसे ७ मील पड़ता है। यहांपर ७ मंदिर बड़े भारी लाखोंकी कीमत के और एक भेदर च हजारों प्रतिमाएँ हैं। जयपुरसे आकर या माधोपुरसे आकर यहांकी यात्रा करनी चाहिये। वहांपर पहिले बड़ेर करोड़पनि लोग रहते थे। पहिले यहांपर रंगाईका काम कपड़ेपर बहुत कीमती हो। था। सांगानेरी पगड़ियों का रंगीन कपड़ा नामी मशहर था । मंहरामें यहां बहुत प्रतिमा हैं। यहांसे जयपुर एक स्टेशन पड़ता है। अब माधोपुरके आगे पटुन्दा उतरे या आगे हीडोन स्टेशन नरें। (३०) श्री चानणग्राम महावीर बाबा-अतिशयक्षेत्र : पटन्दासे ४ मील और हींडोनमे ७ मील चानणग्राम पटना है, यह एक छोटा ग्राम है। यहांपर एक नकट नामकी नदी बहती है । नदीके उपर भगवान महावीर बावाके दोनों तरफ दो चे हैं। आगे जाकर ग्राम माता है, ग्राममें एक बड़ी भारी धर्मशाला है। चौतरफ कोट है, बडे मकानों में लोग रहते हैं। सामानको तो दुकानें हैं। आगे एक बडा मारी तीन शिखरों सहित, दो छत्रयों सहित मंदिरनी है । सो चारों तरफमे एकर मीलसे दीखता है। ये मंदिर जादुराय जयपुर निवासीका बनवाया हुआ है। ___यहां भी हजारों यात्री हरवक्त दर्शनोंको, बोल कबूल चनानेको पाते हैं। चैत्र मुदी पूर्णिमाको यहां बड़ा भारी मेला भरता है। जिसमें हजारों मैन-अमेन लोग बाते हैं । बड़ा व्यापार होता है। मंदिरमीमें हारों मन बी दीपम राजिदिन प्रलता रहता है।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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