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________________ (१९) ७-जिस दिन वंदनाको जाना हो, उसके पहिले दिन शुद्ध, सादा, पाचक, हल्का भोजन करो। ताकि वंदनामें कोई बाधा न होवे । पहाइपर जुना पहिनकर मत जाओ। शांतिसे आगे-पीछेकी खबर रखने हुए धीरे२ पहाइपर चढ़ो, दौड़ा भागी न करो । सामान, जेवर वगैरह समालते रहो । बालबच्चोंको होशयारीसे रक्खो। (-तीर्थोपर प्रेम व मेल मिलाप रखो। झगड़ा विसंवाद न करो। ९-तीर्थोमें अपनी शक्तिपमाण दान करना चाहिये । १०-निम तीर्थ, क्षेत्र, रेल, शहरमें जाना हो, वहांका सब हाल याद रखो। स्टेशन, गाड़ीका बदलना, धर्मशाला, मंदिर, चैत्यालय, आसपास तीर्थ, बानारका हाल इत्यादि सब पूछ रखना चाहिये । इससे बड़ा लाभ होता है। ११-रेलमें चढ़ने उतरते समय सब सामान सावधानीसे रखना, उठाना चाहिये । आगे पीछे यात्रियोंको देखकर बैठनाउठना चाहिये । सबल-निबलका ध्यान रखना चाहिये । कुलोकी मजूरी ठहरा लेना चाहिये । रेलमें शांति भाव रखना, चाहिये । किसीसे झगड़ा नहीं करना चाहिये। सबसे हेल-मेल रम्बना, मीठा वचन बोलना; सामान, जेवर, रुपया आदिकी सावधानी रखना । रेलमें लुचे, गुंडे, बदमाश, दगावान बहुत रहते हैं। सबसे सावधानी रखके ठगाना नहीं चाहिये। बहुत नींद भी नहीं लेना । बालबरचोंको रेलकी खिड़कीसे दूर रखना। टट्टी पेशाब रेलके संडासमें ही करना चाहिये । घड़ी२ बाहर निकलनेसे गिरने व रेल चलने का भय रहता है। रेलवेका महसुस घटता बढ़ता रहता है, सो पछते रहना चाहिये । गाड़ीके पहिले टिकट लेलेना चाहिये। टिकटका दाम खिड़
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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