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________________ १५८ जैनतत्त्वमीमांसा कर उपादानके पहले निश्चय विशेषण दिया गया है, क्योंकि वहाँ बाह्य निमित्तोंसे एक द्रव्याश्रित उपादान निमित्तमें भेद दिखलाना मुख्य है। इसीलिए वहाँ एक द्रव्याश्रित निपित्तको निश्चय उपादान कहा गया है। शंका-यही दृष्टि प्रकृतमें अपनाई जाय तो क्या आपत्ति है ? समाधान-इस दृष्टिसे निश्चय उपादान, निश्चय कार्य तथा निश्चय कर्ता कहा ही जाता है। किन्तु भेदको अपेक्षा कथन करने पर वे व्यवहारनयके विषय हो जाते हैं। उसमें भी समय भेद होनेके कारण पर्यायभेद होनेसे उपादान-उपादेय भावपर उपचार लागू हो जाता है । जब कि कर्तृ-कर्मभावके ऊपर ऐसा उपचार लागू नहीं होता, यही इन दोनोंमें अन्तर है। इसीलिए समयसार परमागममें उपादान-उपादेयभावकी अपेक्षा कथन न करके कर्तृ-कर्मभावको अपेक्षा कथन किया गया है । शंका-कितने ही आचार्योंने कर्तृभावके कथनके समय उसके अर्थमें उपादान शब्दका प्रयोग किया है सो क्यों ? समाधान-उन्होने जैसे घट, कलश ये दोनों पर्यायवाची नाम है ऐसा बुद्धिमें स्वीकार करके ही ऐसा किया होगा । अथबा उन्होने कर्ता और उपादानके लक्षण भेदको गौण कर ऐसा किया होगा। यह भी सम्भव है कि समय भेदसे द्रव्य भेदको गौण कर दोनोंका एक ही अर्थमें प्रयोग किया होगा। उन्होने ऐसा किम प्रयोजनसे किया यह हम कह नहीं सकते । वस्तुतः देखा जाय तो इन दोनोंके लक्षण भिन्न-भिन्न है, इनमे कालभेद भो है, क्योंकि उपादानमें विवक्षित कार्यसे अव्यहित पूर्व समय का द्रव्य गृहीत है और कामे कार्य कालका ही द्रव्य गृहीत है । इसलिए इनका कथन भिन्न-भिन्नरूपसे ही किया है। इनमें संज्ञा भेद और प्रयोजन भेद तो है ही। शंका-यह तो बड़ी विचित्र बात है कि दो द्रव्याश्रित निमित्तनैमित्तिक सम्बन्धको अज्ञानी सविकल्प जीवकी अपेक्षा आगममें कर्तकर्म भावरूपसे स्वीकार किया गया है और एक द्रव्याश्रित उपादानउपादेय सम्बन्धको आगममें कही भी स्पष्टत. कर्तृ-कर्म भावरूपमें स्वीकार नहीं किया गया । इसका कारण क्या है ? समाधान-आगममें जहाँ भी दो द्रव्याश्रित निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्धको कर्तृ-कर्मरूपसे स्वीकार किया गया है वहाँ अनादि कालसे चले आ रहे लौकिकजनोंके इस प्रकारके व्यवहारको ध्यानमें रखकर हो
SR No.010314
Book TitleJain Tattva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherAshok Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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