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________________ जैन स्वाध्यायमाला " वीसेढी पुण सद्द, सुणेइ नियमा पराधाए । ८६ । ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा । सन्ना सई मई पन्ना, सव्व श्राभिणिवोहियं ॥ ८७॥ सेतं आभिणिबोहियनाणपरोक्ख । सेतं मइनाण | सूत्र - ३८ से किं तं सुयनाणपरोक्खं ? सुयनाणपरोक्खं चोइसविह पण्णत्तं, तंजहा - अक्खरसुयं, अणक्खरसुयं, सण्णिसुय, सण्णिसुयं सम्मसुयं मिच्छसुयं, साइयं, अणाइयं, सपज्जवसियं, अपज्जवसिय, गमियं, अगमियं, अंगपविट्ठ, अगंगपविट्ठ । सूत्र - ३९ से किं तं श्रक्खरसुयं ? अक्खरसुयं तिविह पण्णत्तं, तंजहा - सन्नक्खरं वंजणक्खरं, लद्धिक्खरं । से किं तं सन्नक्खर ? सन्नक्खर अक्खरस्स सठाणागिई, से त सन्नक्खर । से किं तं वजणक्खरं ? वंजक्खर अक्खरस्स वंजणाभिलावो, सेतं वंजणक्खर से कि त लक्खि रं ? लद्धिप्रक्खरं श्रक्खरलद्धियस्स लद्धिप्रक्खरं समुप्पजई, तजहा- सोइंदियल द्धिप्रक्खर, चक्खि दियलद्धिश्रक्खरं, घाणिदियलद्धिश्रक्खरं, रसणिदियलद्धिअक्खरं, फासिदियलद्विप्रक्खरं, नोइंदियलद्धिश्रक्खरं, से तं लद्धिक्खरं, से त अक्खरसुयं । 1 से किं तं प्रणक्खरसुय' अणक्खर सुयं प्रणेगविहं पण्णत्तं, तजहाऊस सियं नीससियं, निच्छूढ खासियं च छीयं च । निस्सिघियमणुसारं, अणक्खरं छेलियाईयं वि २६३ , सेतं अणक्खरसुयं । सूत्र - ४० से कि त सण्णिसुयं ? सण्णिसूय तिविहं पण्णत्त, तजहा - कालिनोवएसेण, हेऊवए सेण, दिट्टिवाओवएसेण ।
SR No.010312
Book TitleJain Swadhyaya Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1965
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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