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________________ २-न्य गुण पर्याय २-द्रव्याधिकार व सोना मिलकर एक हो जाते हैं परन्तु सत्ता की अपेक्षा अब भी वे पृथक-पृथक, क्योंकि पदार्थ की स्वतन्त्र सत्ता का कभी नाश नहीं होता। ७७. क्या स्कन्ध में रहने वाले परमाणु को शुद्ध कह सकते हैं ? नहीं, वह अशुद्ध कहा जाता है, क्योंकि अन्य के साथ मिले हुए सर्व पदार्थ अशुद्ध कहलाते हैं । खोटे सोने में स्वर्ण भी अशुद्ध है और ताम्बा भी। ७८. स्कन्ध बनाने में जीव का भी कुछ हाथ है क्या ? जितने भी स्थूल स्कन्ध दृष्ट हैं, वे सभी किसी न किसी जीव के जीवित या मृत शरीर हैं, जैसे—यह वस्त्र वनस्पति कायिक का मृत शरीर है और यह मकान पृथ्वी कायिक का । यद्यपि वर्गणा रूप सूक्ष्म स्कन्ध स्वभाव से ही बन जाते हैं, पर स्थूल स्कन्ध जीव का शरीर बने बिना उत्पन्न होता नहीं देखा जाता । अतः जीव ही स्थूल स्कन्धों का मूल निर्माता है । ७९. शरीर कितने प्रकार के हैं ? पांच प्रकार के औदारिक, वैक्रियक, आहारक, तेजस, कार्माण। ८०. वर्गणा किसे कहते हैं ? स्थूल शरीरों के या स्कन्धों के मूल कारणभूत जो सूक्ष्म स्कन्ध (Elements) होते हैं, उन्हें वर्गणा कहते हैं। (८१) वर्गणारूप स्कन्धों के कितने भेद हैं ? आहार वर्गणा, तैजस वर्गणा, भाषा वर्गणा, मनो वर्गणा व कार्माण वर्गणा आदि २२ भेद हैं (ये पांच प्रधान हैं)। (८२) आहार वर्गणा किसको कहते हैं ? औदारिक, वैक्रियक व आहारक इन तीन शरीर रूप जो परिणमै उसे आहारक वर्गणा कहते हैं। (८३) औदारिक शरीर किसको कहते हैं ? मनुष्य, तिर्यञ्च के स्थूल शरीर को औदारिक शरीर कहते हैं।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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