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________________ २-अन्य गुण पर्याय २-व्याधिकार (८४) वैक्रियक शरीर किसको कहते हैं ? - जो छोटे बड़े एक अनेक आदि नाना क्रिया को करें ऐसे देव व नारकियों के शरीर को वैक्रियक शरीर कहते हैं। (८५) आहारक शरीर किसे कहते हैं ? छटे गुणस्थानवर्ती मुनि के तत्वों में कोई शंका होने पर केवली व श्रुतकेवली के निकट जाने के लिये, मस्तक में से एक हाथ का (धवल) पुतला निकलता है। उसे आहारक शरीर कहते हैं। (८६) क्या आहारक शरीर दिखाई देता है ? । नहीं, सूक्ष्म होने से वह इन्द्रिय ग्राह्य नहीं होता। (८७) तैजस वर्गणा किसे कहते हैं ? - औदारिक व वैक्रियक शरीरों को कान्ति देने वाला तेजस शरीर है । वह जिस वर्गणा से बने सो तैजस वर्गणा है। ८८. दृष्ट पदार्थों में तैजस शरीर कौनसा है ? सूक्ष्म होने से वह दृष्ट नहीं है। वह औदारिक व वैक्रियक शरीरों के भीतर घुल मिलकर रहता है । (८९) भाषा वर्गणा किसे कहते हैं ? जो शब्द रूप परिणमै उसे भाषा वर्गणा कहते हैं । १०. मनो वर्गणा किसे कहते हैं ? शरीर के भीतर आठ पांखुड़ी वाले कमल के आकारवाला जो सूक्ष्म मन होता है उस रूप जो परिणमै उसे मनो वर्गणा कहते हैं। (९१) कार्माण वर्गणा किसे कहते हैं ? जो कार्माण शरीर रूप परिणमै उसे कार्माण वर्गणा कहते हैं। (९२) कार्माण शरीर किसे कहते हैं ? ज्ञानावरणादि अष्ट कर्मों के समूह (पिण्ड) को कार्माण शरीर कहते हैं।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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