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________________ १-याय ११ ३-परोक्ष प्रमाणाधिकार (७) प्रत्यभिज्ञान किसको कहते हैं ? स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में जोड़रूप ज्ञान को प्रत्यभिज्ञान कहते हैं; जैसे—यही वह व्यक्ति है जिसे कल देखा था। ८. जोड़ रूप ज्ञान से क्या समझे? किसी पदार्थ को इन्द्रिय द्वारा प्रत्यक्ष जानकर अपनी पूर्व स्मृति के आधार पर यह जान लेना कि 'यह वही है' या 'वैसा ही है जोड़रूप ज्ञान कहलाता है, क्योंकि इसमें पूर्व स्मृति और वर्तमान प्रत्यक्ष दोनों का सम्मेल पाया जाता है । (६) प्रत्यभिज्ञान के कितने भेद हैं ? एकत्व प्रत्यभिज्ञान, सादृश्य प्रत्यभिज्ञान, आदि (विलक्षण तत्प्रतियोगी इत्यादि) अनेक भेद हैं। (१०) एकत्व प्रत्यभिज्ञान किसे कहते हैं ? स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में एकता दिखाते हुए जोड़रूप ज्ञान को एकत्व प्रत्यभिज्ञान कहते हैं, जैसे 'यह वही मनुष्य है जिसे कल देखा था। (११) सादृश्य प्रत्यभिज्ञान किसे कहते हैं ? स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में सादृश्य दिखाते हुए जोड़रूप ज्ञान को सादृश्य प्रत्यभिज्ञान कहते हैं, जैसे यह गौ गवय (रोझ) के सदृश्य है। १२. विलक्षण प्रत्यभिज्ञान किसे कहते हैं ? स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में विलक्षणता दिखाते हुए जोड़रूप ज्ञान को विलक्षण प्रत्यभिज्ञान कहते हैं, जैसे भैंस गाय से विलक्षण होती है । १३. तत्प्रतियोगी प्रत्यभिज्ञान किसे कहते हैं ? स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में अपेक्षा दिखाते हुए जोड़रूप ज्ञान को तत्प्रतियोगी प्रत्यभिज्ञान कहते हैं, जैसेयह स्थान उस स्थान से दूर है।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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