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________________ ६-तत्वार्थ २६५ १-नव पदाधिकार ९९ । २२. द्रव्य बन्ध किसको कहते हैं ? भाव बन्ध के निमित्त से जो द्रव्य कर्मों का जीव प्रदेशों के साथ बन्धान होता है, वह द्रव्यबन्ध है। २३. द्रव्य बन्ध में कितने विकल्प होते है ? चार-प्रकृति, स्थिति, अनुभाग व प्रदेश । (विस्तार के लिये देखो अध्याय ३ अधिकार १) २४. संवर तत्व किसको कहते हैं ? कर्मों के आगमन का द्वार रुक जाना अर्थात आस्रव का निरोध संवर है। २५. संवर तत्व कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का-भाव संवर, द्रव्य संवर । २६. भाव संवर किसको कहते हैं ? । जीव के जिन परिणामों से कर्मों का आस्रव रुक जाये उन परिणामों को भाव संवर कहते हैं। २७. भाव संवर रूप जीव के परिणाम कौन से हैं ? आठ प्रकार के हैं -सम्यग्दर्शन, व्रत, समिति, गुप्ति, धर्म, अनु प्रक्षा, परीषह जय व चारित्र । २८. द्रष्य संवर किसको कहते हैं ? भाव सवर के निमित्त से द्रव्य कर्मो के नवीन आगमन का रुक जाना द्रव्य संवर है। २६. निर्जरा तत्व किसको कहते हैं ? पूर्वबद्ध कर्मों का जीव प्रदेशों से धीरे धीरे पथक होना या झड़ जाना निर्जरा कहलाता है। ३०. निर्जरा कितने प्रकार की होती है ? दो प्रकार की-भाव निर्जरा व द्रव्य निर्जरा। ३१. भाव निर्जरा किसको कहते हैं ? जीव के जिन परिणामों के निमित्त से पूर्वबद्ध कर्म झड़ते हैं, या संस्कारक्षीण होते हैं उन्हें भाव निर्जरा कहते हैं ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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